Poems
Chetna-Sajha Kavya Sangrah चेतना-साझा काव्य संग्रह
नारी सशक्तिकरण पर बहुत कुछ कहा जाता रहा है। आज अगर हम साहित्य उठा कर देखते है तो इस विषय की भरमार है और इस विषय के बिना अध्ययन अधूरा-सा लगता है है। वैसे "नारी "शब्द अपने आप मे एक संपूर्ण अस्तित्व समेटे हुए है। प्राचीन काल से लेकर अब तक इस विषय पर काफ़ी कुछ लिखा जा चुका है।
देवी से लेकर अबला तक, बालिका से लेकर सबला नारी तक का लंबा सफर तय करती नारी ने हमारे साहित्य में सर्वोपरि स्थान ग्रहण कर रखा है, जैसा कि मैंने कहा आजकल मुक्त छंद को लेकर ग़जल, गीत, आदि काव्य में इस विषय पर कविता प्रचुरता से लिखी जा रही है। कुछ रचनाकार नये है, कुछ काफी समय से लेखन में है।
इस संग्रह में कवि-कवियत्रियों ने समसामयिक विषय को नारी सशक्तिकरण के साथ जोड़ कर बख़ूबी वर्णित किया है। कुछ रचनाकारों की रचनाएँ दिल को छू कर गुजरती है, कुछ रिश्तों को सहेजती, कई अपना अस्तित्व तलाशती और कुछ नारी मन को टटोलती कविताएँ समाज का दर्पण बन गई है, स्वयं कवि-मन के भावों का एक उथल-पथल मचाती पंक्ति-दर-पंक्ति सुव्यवस्थित तरीके से सँजोती उसकी अपनी रचना की मनोस्थिति दर्शाती है।
मैं बात करती हूँ भावों की कोमलता की, रिश्तों को नारी-मन सदैव सर्वोपरि रखता आया है। अपनी कोमलता को नारी-मन सजीवता से सहेजना चाहता है, अंत मे यही उसका सम्बल बन जाता है और उसकी शक्ति भी। आज हर क्षेत्र में सहजता से सँभालती नारी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है, सचेत है।